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पाक परमाणु-शक्ति!

रायपुर (छत्तीसगढ़) से चन्द्रप्रकाश शुक्ला ने लिखा-'अमरीकी खुफिया एजेन्सियों का अनुमान है कि पाकिस्तान के पास इस समय 90 से 110 के बीच परमाणु हथियार हैं, जो भारत से कहीं ज्यादा है। (पत्रिका: 1 जून: परमाणु कार्यक्रम में जुटा पड़ोसी) इतना ही नहीं, पश्चिमी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की रफ्तार दुनिया के किसी अन्य देश की तुलना में सबसे ज्यादा है। रक्षा विशेषज्ञों को डर है कि पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम में यदि वर्तमान तेजी बनी रही तो वह बहुत जल्द फ्रांस की बराबरी पर पहुंच जाएगा। फ्रांस परमाणु हथियारों के भंडार के मामले में दुनिया का चौथा बड़ा देश है। मैंने जब यह विवरण पढ़ा तो मन में कई प्रश्न उठे।
  •  पहला, यह कि आर्थिक रूप से जर्जर राष्ट्र के पास परमाणु हथियारों के लिए अरबों रुपए का धन कहां से आ रहा है?
  • दूसरा, यह कि पाकिस्तान को किससे खतरा है कि वह ताबड़तोड़ तरीके से परमाणु हथियार एकत्र कर रहा है?
  • तीसरा, यह कि पाकिस्तान को कौन मदद कर रहा है, और क्यों?
  • चौथा और महत्वपूर्ण सवाल यह कि क्या पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों के भंडार की सुरक्षा करने में सक्षम है? अगर नहीं तो क्या इसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा?'
इंदौर से विमल दशोरे ने लिखा- '22 मई 2011 की रात कराची के मेहरान नौ सेना बेस पर तालिबानी हमले से यह फिर साबित हो गया कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं। हमलावर आतंककारी पाक के मसरूर एयरबेस पर रखे परमाणु जखीरे से सिर्फ 24 किमी दूर थे। इससे पहले भी पाक में नवम्बर 2007 व अगस्त 2008 में परमाणु ठिकानों के आसपास सैन्य बलों पर हमले हो चुके हैं।'
कोटा से रामराज गुप्ता ने लिखा- 'एक कहावत है नादान की दोस्ती, जी का जंजाल। इसे यूं भी कह सकते हैं- नादान पड़ोसी, जी का जंजाल। पाकिस्तान की नौ सेना बेस में घुसकर आतंकियों ने 15 घंटे तक कोहराम मचाए रखा और विस्फोट करके सेना के अत्याधुनिक पी-3सी ऑरियन विमान और कई जवानों को उड़ा दिया। उन हमलावर आतंकियों का खात्मा करने में पाक सुरक्षा बलों को पसीने छूट गए। अगर वो 20 आतंकी थोड़ा और दुस्साहस कर परमाणु हथियारों के जखीरे तक पहुंच जाते तो?'
जयपुर से अभिजीत कौल के अनुसार- 'उस देश में परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं, जिस देश में परमाणु हथियारों की चाबी निर्वाचित सरकार के हाथ में नहीं हो। पाकिस्तान में राज सेना और आईएसआई का चलता है।'
उदयपुर से भीमसिंह शक्तावत ने लिखा- 'पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर हमारी चिन्ता का सबसे बड़ा कारण यह है कि एक तरफ खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंककारियों में साठगांठ है, तो दूसरी तरफ सेना में भी कई लोग आतंकियों से मिले हुए हैं। इस बात की पोल हाल ही पाकिस्तानी पत्रकार सलीम शहजाद ने ही खोल दी, जिसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। डेविड कोलमैन हैडली ने भी अमरीकी अदालत में आईएसआई व आतंकी गठबंधन की कलई खोल दी है। अब सारी दुनिया सच्चाई जान चुकी है।'
प्रिय पाठकगण! पड़ोसी देश पाकिस्तान में लगातार आतंकी हमले, विस्फोट और खून-खराबे की घटनाओं को भारत में किस तरह से देखा जा रहा है? भीतर के असुरक्षित हालात के बावजूद पाकिस्तान परमाणु हथियारों का विस्तार क्यों कर रहा है? साथ ही आईएसआई, सेना व आतंकियों के गठजोड़ के आरोप तथा हैडली के बयानों से उजागर हुए तथ्यों पर भारतीय नागरिकों की क्या प्रतिक्रिया है? उपर्युक्त पत्रों में एक स्पष्ट झलक आपने देखी। पाठकों की कुछ और प्रतिक्रियाएं भी देखें।
जबलपुर से अमरीश भाटिया ने लिखा- 'पाकिस्तान में आईएसआई, सेना और आतंकियों की मिलीभगत पर जिसने भी जुबान खोली उसे ठिकाने लगा दिया जाता है। मीडिया का वहां हमेशा गला घोंटा गया। एशिया टाइम्स आनलाइन के ब्यूरो चीफ सलीम शहजाद की हत्या ताजा उदाहरण है। इससे पहले जंग समूह के उमर चीमा तथा लाला हमीद बलूच जैसे पत्रकारों की मौत भी इन्हीं परिस्थितियों में हुई थी।'
अहमदाबाद से दिवेश अग्रवाल के अनुसार- 'हैडली के विस्तृत बयान से साफ है कि भारत में 26/11 की साजिश आईएसआई और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर रची। मेजर इकबाल और हाफिज सईद के बारे में हैडली ने सब कुछ उगल दिया।'
ग्वालियर से दीपक साहू से लिखा- 'पाक ने खुशाब परमाणु परिसर में अचानक गतिविधियां तेज कर दी- यह बात मीडिया में सामने आई है। पाक अपनी परमाणु ताकत का जिस तेजी से विस्तार कर रहा है उससे पता चलता है कि उसे यूरेनियम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो रहा है। अमरीका से रिश्ते कमजोर पड़ने पर अब उसे चीन मदद कर रहा है।'
उज्जैन से ज्ञानप्रकाश शर्मा ने लिखा- 'चीन और पाकिस्तान का गठजोड़ न केवल दक्षिण एशिया में शक्ति-संतुलन बिगाड़ देगा, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए भी नए खतरे पैदा करेगा।'
भोपाल से आर.सी. कालरा ने लिखा- 'अगर पाकिस्तान में परमाणु हथियार आतंककारियों के हाथ में पड़ गए तो न केवल पाकिस्तान तबाह हो जाएगा, भारत को भी भारी नुकसान पहुंचेगा। इसलिए भारत सहित विश्व समुदाय को पाक पर दबाव बनाना चाहिए कि वह नए परमाणु संयंत्रों पर रोक लगाए। चीन को भी पाबंद किया जाए कि वह पाक को यूरेनियम सप्लाई बंद करे।'

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