तो क्या रिपोर्टर के रूप में मानव पत्रकार की भूमिका खत्म हो जाएगी? आंकड़े, तथ्य, सूचनाओं आदि का जाल तो ठीक, भावनाओं और संवेदनाओं का क्या होगा? क्या विज्ञान, तकनीक, कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर का मायाजाल पत्रकारिता की नई परिभाषा गढ़ेगा?
अगर आपको कहें कि यूक्रेन में मलेशियाई विमान को मार गिराने की खबर सबसे पहले एक रोबोट ने 'ब्रेक' की तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? यकीनन आप चौंक उठेंगे। हालांकि यह हकीकत नहीं सिर्फ कल्पना है दोस्तो लेकिन यह कल्पना आने वाले दिनों में शीघ्र हकीकत में बदल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। विकसित देशों में रोबोट पत्रकारिता तेजी से बढ़ती जा रही है। अभी इसका उपयोग कारपोरेट कंपनियों से संबंधित आर्थिक खबरों में ही ज्यादातर किया जा रहा है लेकिन अन्य खबरों में भी जिस तरह रोबोट के प्रयोग किए गए हैं, उससे भविष्य की तस्वीर का अनुमान लगाया जा सकता है। रोबोट पत्रकारिता दुनिया भर के 'न्यूज रूम' में बढ़ रही है। विभिन्न विषयों के सॉफ्टवेयर तैयार किए जा रहे हैं। इन्हें पहले से तैयार डाटा टैम्पलेट में डालकर रोबोट के जरिए पेश किया जा रहा है।
रोबोट की दैत्याकार कार्य-क्षमता के सामने इन्सान बौना है। रोबोट सैकण्ड से भी कम समय में एक सम्पूर्ण न्यूज स्टोरी तैयार कर सकता है। विमान कहां गिरा, कितने बजे हादसा हुआ? घटना स्थल की लोकेशन क्या है, विभिन्न देशों से कितनी दूरी पर है। इसी क्षेत्र में पहले कितने विमान हादसे हुए। दुनिया भर में कब-कब, कहां-कहां यात्री विमानों पर हमले हुए- सब कुछ पलक झपकते तैयार। खबर की यह रफ्तार हो तो फिर रिपोर्टर की क्या जरूरत! घटना घटित होने पर जानकारी मिलते ही पूरा समाचार तैयार। शायद इसीलिए रोबोट को भविष्य का पत्रकार कहा जा रहा है।
तो क्या रिपोर्टर के रूप में मानव पत्रकार की भूमिका खत्म हो जाएगी? आंकड़े, तथ्य, सूचनाओं आदि का जाल तो ठीक, भावनाओं और संवेदनाओं का क्या होगा? क्या विज्ञान, तकनीक, कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर का मायाजाल पत्रकारिता की नई परिभाषा गढ़ेगा? रोबोट पत्रकारिता के प्रवेश के साथ ही ये सवाल भी उठ रहे हैं।
रोबोट पत्रकारिता की वास्तविक शुरुआत इस वर्ष मार्च में अमरीकी अखबार 'द लॉस एंजलिस टाइम्स' ने की, जब उसने रोबोट की लिखी भूकम्प पर पहली खबर प्रकाशित की। रोबोट ने भूकम्प के दौरान तुरन्त स्वचलित रूप से एक छोटी-सी रिपोर्ट तैयार कर दी। करीब सौ-सवा सौ शब्दों की इस खबर की शुरुआत रोबोट ने इस तरह की- 'सोमवार की सुबह 6.25 बजे कैलिफोर्निया के वेस्टवुड से 5 मील दूर हल्का भूकम्प आया जिसकी तीव्रता 4.7 थी...' इस समाचार में सभी आवश्यक जानकारियां थीं। यहां तक कि समाचार स्रोत के तौर पर अमरीका के ज्योलॉजिकल सर्वे विभाग का हवाला भी दिया गया था। पत्रकार और प्रोग्रामर केन श्वेन्के के अनुसार यह खबर मात्र तीन मिनट में वेबसाइट पर प्रकाशित हो गई थी। श्वेन्के ने ही यह प्रोग्राम विकसित किया जो भूकंप के दौरान रोबोट को तत्काल सक्रिय कर देता है। भूकम्प के अलावा यह प्रोग्राम शहर में होने वाले अपराध की खबरों को भी तैयार करता है। श्वेन्के कहते हैं- रोबोट काफी समय बचाता है। कुछ खास तरह की खबरों के लिए यह उतनी ही अच्छी तरह सूचनाएं जुटाता है जैसे कि दुनिया में कोई और जुटाएगा।
रोबोट और सॉफ्टवेयर पत्रकारिता की धारणा को कुछ सर्वेक्षणों ने और भी बल प्रदान कर दिया है। कुछ माह पूर्व 'जर्नलिज्म प्रैक्टिस' नामक एक जर्नल ने सॉफ्टवेयर पत्रकारिता पर एक अध्ययन जारी किया। इसमें एक ही विषय पर लिखी गई दो अलग-अलग खबरों की तुलना की गई थी। पहली खबर मानव-पत्रकार ने लिखी और दूसरी खबर सॉफ्टवेयर द्वारा लिखी गई थी। परिणाम आश्चर्यजनक रहा। जहां पत्रकार की खबर रोचक और सुसंगत थी, वहीं सॉफ्टवेयर की लिखी खबर तुलनात्मक रूप से ज्यादा तथ्यों वाली, ज्यादा वस्तुनिष्ठ और ज्यादा विश्वसनीय थी। अमरीकी पत्रकार डेरेक मीड के अनुसार पत्रकारिता की वर्तमान दिशा तकनीक में तब्दील हो रही है। हैरत की बात यह है कि आम पाठक के लिए दोनों खबरों में अन्तर करना मुश्किल हो रहा है। यह अध्ययन स्वीडन के कार्लस्टेड विश्वविद्यालय के क्रिस्टर क्लेरवाल द्वारा किया गया था।
सॉफ्टवेयर पर पत्रकारिता की निर्भरता निरन्तर बढ़ रही है। हाल ही में एसोशिएटेड प्रेस ने घोषणा की कि वह 'वर्डस्मिथ' नामक स्वचलित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करेगी। इस अन्तरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी के अनुसार वह प्रत्येक तिमाही में रोबोट लिखित 4,440 खबरें जारी करेगी। यह संख्या मानव पत्रकार लिखित खबरों से दस गुणा अधिक है। यह प्रारंभिक स्थिति है। पूरी क्षमता से जब रोबोट काम करेगा तो उसकी गति कई गुणा बढ़ जाएगी। फिलहाल ये खबरें कारपोरेट कंपनियों से संबंधित आर्थिक रिपोर्टें होंगी।
इससे पूर्व याहू एक एप्प तैयार कर चुका है जिसका नाम है- समली। समली मूल पाठ को स्वत: ही संक्षिप्त अथवा सम्पादित करके उसमें खास बिन्दुओं को जोड़ देता है। यह तकनीक भी कई तरह की खबरों में मददगार है।
द लॉस एंजिलिस टाइम्स, एसोशिएटेड प्रेस, याहू जैसे दिग्गजों का सॉफ्टवेयर तथा रोबोट पत्रकारिता में प्रवेश तथा 'द गार्जियन', 'फोब्र्स' एवं कई अन्य मीडिया कंपनियों का इस क्षेत्र में प्रायोगिक परीक्षण और दिलचस्पी इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भविष्य की पत्रकारिता किस दिशा में जा रही है। शायद इसीलिए यह सवाल किया जा रहा है कि क्या रोबोट पत्रकार मानव पत्रकार से श्रेष्ठ साबित होंगे? साथ ही यह भी कि क्या रोबोट हमारी नौकरियां छीन लेंगे? प्रोग्रामर केन श्वेन्के कहते हैं- रोबोट की बनाई खबरें असली पत्रकारों की जगह नहीं लेंगी। रोबोट केवल उपलब्ध डाटा को जल्दी से जल्दी एकत्रित करने और उसे प्रसारित करने में मदद करेंगे। वे कहते हैं- 'मेरी नजर में रोबोट किसी की नौकरी नहीं लेगा बल्कि यह हर किसी की नौकरी को रुचिकर बनाएगा।' तकनीकी विषयों के वरिष्ठ लेखक विल ओरेमस के अनुसार- 'रोबोट अपनी खबरों में 'कौन', 'कहां', 'क्या', 'कब' जैसे सवालों के जवाब तो दे सकता है मगर 'क्यों' का जवाब सिर्फ मानव-पत्रकार के पास ही मिल सकता है। जाहिर है, जब तक 'क्यों' का जवाब नहीं मिल जाता तब तक लेखन अधूरा है। पाठक या दर्शक का जिज्ञासु मन कई प्रश्न को जन्म देता है जिनका जवाब देने की क्षमता सिर्फ मानव में है, कम्प्यूटर या किसी रोबोट में नहीं। रोबोट के लिए 'वर्डस्मिथ' सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी 'ऑटेमेटेड इनसाइट्स' के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोबी एलन के अनुसार 'हमारी तकनीक किसी डाटा विश्लेषक का अनुकरण तो कर सकती है लेकिन यह किसी पत्रकार का अनुकरण नहीं कर सकती। इसलिए मुझे पत्रकारों के भविष्य को लेकर कोई संशय नहीं है।' रोबोट पत्रकारिता पर जाने-माने अमरीकी लेखक केविन रूज का तो यहां तक कहना है कि अगर हम अपने जीवन में लगातार एक जैसी चीजों को दोहराना चाहते हैं जिसमें दिमाग लगाने की कोई जरूरत नहीं तो हमें भी रोबोट बन जाना चाहिए।
साफ है तकनीक अभी तक इन्सान का कोई विकल्प नहीं खोज पाई है।
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