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राजनीति के 'सेफ्टी वॉल्व!

आगामी चुनावों को देखते हुए टीवी चैनल के लाइसेंस के लिए सरकार के पास 152 आवेदन आए हैं। आधे से ज्यादा (80) आवेदन न्यूज चैनल के लिए हैं।  ज्यादातर न्यूज चैनल घाटे में हैं, तो नए चैनल के लिए कतार क्यों लगी हुई है? न्यूज चैनल भले घाटे में हों, उसके मालिक का दूसरा धंधा खूब चमक रहा है। दरअसल, वह मीडिया के कारोबार में आया ही इसलिए कि उसके दूसरे धंधे को कवच मिल सके।

हाल ही खबर थी कि आगामी चुनावों को देखते हुए कई नए न्यूज चैनल शीघ्र लांच हो सकते हैं। टीवी चैनल के लाइसेंस के लिए सरकार के पास 152 आवेदन पत्र आए हुए हैं। इनमें आधे से ज्यादा (80) आवेदन न्यूज चैनल के लिए हैं। ज्यादातर आवेदन रीजनल चैनल के लिए हैं। बताया जाता है इस समय देश में करीब 800 टीवी चैनल हैं, जिनमें न्यूज चैनलों की संख्या करीब 400 है।
पहले न्यूज चैनल शुरू करने के लिए लाइसेंस शुल्क 3 करोड़ रुपए था। इसे वर्ष 2011 में बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए कर दिया गया। न्यूज चैनल शुरू करने के लिए करीब सौ सवा सौ करोड़ रुपए की न्यूनतम पूंजी की जरूरत पड़ती है।
 ध्यान देने की बात यह भी है कि ज्यादातर न्यूज चैनल घाटे में चल रहे हैं। अब सवाल यह है कि इसके बावजूद नए न्यूज चैनल के लिए आवेदनकर्ताओं की कतार क्यों लगी हुई है? न्यूज चैनल भले ही घाटे में चल रहा हो, उसके मालिक का दूसरा धंधा खूब चमक रहा है। दरअसल, वह मीडिया के कारोबार में आया ही इसलिए कि उसके दूसरे धंधे को कवच मिल सके। विशुद्ध मीडिया का कारोबार करने वाले गिने-चुने ही हैं। कोई रियल स्टेट के धंधे में तो कोई चिटफंड कंपनी चला रहा है। कोई निर्माण उद्योग में है, तो कोई राजनीति में हाथ आजमा रहा है। चुनाव से बात शुरू की थी, सो फिलहाल यहां राजनीति की ही चर्चा कर रहा हूं। धंधे की तरह ही राजनीति को चमकाने के लिए भी न्यूज चैनलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। बीते वर्षों में राजनेताओं ने इस पर तेजी से काम किया है। वे सीधे मीडिया के मालिक बन रहे हैं। हालांकि दक्षिण भारत में यह मीडिया-राजनीति काफी समय से है, पर अब यह पूरे देश में फैल रही है। हर दल के नेता इस पर कब्जा जमा रहे हैं। इंडिया न्यूज चैनल हरियाणा के कांग्रेसी नेता विनोद शर्मा का है। इनके बेटे मनु शर्मा को मीडिया की सक्रियता के कारण ही जेसिका लाल की हत्या के आरोप में पकड़ा गया और अब वह आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है। पिता आज तीन-तीन न्यूज चैनलों के मालिक हैं। मीडिया समीक्षकों का कहना है कि यह कारोबार गलत लोगों के लिए 'सेफ्टी वॉल्व' की तरह काम करता है। हरियाणा के पूर्व गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा के पास पांच टीवी चैनलों के लाइसेंस हैं। ये वही गोपाल कांडा हैं, जो एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की आत्महत्या के मुख्य आरोपी हैं। इनका न्यूज चैनल हरियाणा न्यूज उस वक्त गोपाल कांडा को समाज सेवी के रूप में प्रस्तुत कर रहा था, जब मीडिया कांडा को अपराधी और तिकड़मी राजनेता के तौर पर दर्शा रहा था। कांडा के और भी धंधे हैं।
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल केवल अपनी पार्टी में ही मालिकाना हक नहीं रखते, बल्कि पंजाब के लोकप्रिय टीवी चैनल पीटीसी और पीटीसी न्यूज के भी मालिक हैं। पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी ने बादल पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने चैनल को पार्टी के प्रचार का मंच बना रखा है। पंजाब के इतिहास में पहली बार हुआ, जब एक ही पार्टी ने दुबारा सत्ता हासिल की। अकाली दल फिर सत्ता में आ गया। निश्चय ही इसमें पीटीसी न्यूज का भी योगदान रहा होगा। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी तृणमूल की ओर से पश्चिम बंग टीवी की घोषणा कर चुकी हैं, तो माकपा के अवीक दत्ता आकाश बांगला और 24 घंटा टीवी चैनलों के मालिक हैं। आंध्रप्रदेश में वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की छवि के बाद उनके पुत्र जगन मोहन रेड्डी के पास राजनीतिक तौर पर ताकतवर बनने के लिए जो सबसे मुफीद हथियार है वह है उनका साक्षी टीवी। साक्षी मीडिया समूह को स्थापित करने के दौरान की गई वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में उन्हें गत वर्ष सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष के. चन्द्रशेखर राव टी-न्यूज चैनल के मालिक है। तमिलनाडु में एआईडीएमके की जयललिता और डीएमके के कलानिधि मारन जया टीवी और सन टीवी के जरिए न केवल राजनीति चमका चुके हैं, बल्कि अच्छा-खासा धन भी कमा रहे हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमार स्वामी की पत्नी अनिता कुमार स्वामी कन्नड़ टीवी चैनल कस्तूरी टीवी चला रही है। कांग्रेस के राजीव शुक्ला पत्नी अनुराधा प्रसाद के साथ न्यूज-24 चैनल के मालिक हैं, तो महाराष्ट्र में विजय दर्डा आईबीएन-लोकमत मराठी न्यूज चैनल के मालिक हैं। असम में मतंग सिंह एन.ई. टीवी तथा फोकस टीवी के मालिक हैं। उनके राजनीतिक पुनस्र्थापन में उनके न्यूज चैनलों की बड़ी भूमिका रही है। बीजू जनता दल के सांसद बैजयन्त जय पांडा की पत्नी जग्गी मंगल पांडा उड़ीसा में ओटीवी की मालकिन हैं। पांडा के लिए चैनल एक प्रभावी हथियार भी है।
राजनीतिक वर्चस्व के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। विरोधी को हड़काने और खुद को स्थापित करने के लिए इस माध्यम का दुरुपयोग किया जा रहा है। हालांकि इन चैनलों पर खबरों की शुचिता, विश्वसनीयता के भी सवाल खड़े हैं, पर फिलहाल ये गौण हैं। न्यूज चैनल के जरिए जब दूसरे कई लाभ हों तो यह घाटे का सौदा नहीं। लाइसेंस के लिए जो आवेदन लंबित हैं, उनमें कितने राजनेताओं के हैं, यह स्पष्ट नहीं, लेकिन यह स्पष्ट है कि 400 से भी अधिक न्यूज चैनलों के बावजूद क्यों नए लाइसेंस पाने की कतार लगी है।
पकड़े गए रंगे हाथ!!
न्यूज चैनलों पर राजनीतिक पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं। इनमें रीजनल ही नहीं राष्ट्रीय और बड़े कहे जाने वाले चैनल भी शामिल हैं। ताजा मामला एनडी टीवी का है। पटल पर राजनीतिक बहस चल रही थी। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के संदर्भ में प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद बयान दे रहे थे। बयान में रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस-भाजपा की तुलना की। इसी दौरान पीछे से किसी ने एंकर को निर्देश दिया— 'कांग्रेस को डिफेंड कर देना'। यह वाक्य लाइव प्रसारण के दौरान सबको सुनाई दे गया। संभवत: यह निर्देश प्रोग्राम कंट्रोलर ने दिया होगा। एंकरिंग निधि कुलपति कर रही थी। चोरी पकड़ी गई। वाक्य रिकॉर्ड हो गया, जिसे एक दर्शक ने बाकायदा यू-ट्यूब पर डाल दिया। फेसबुक पर एक यूजर ने लिखा— 'तकनीक बड़ी मायावी होती है। आपको छिपा भी सकती है और आपका पर्दाफाश भी कर सकती है। तकनीक सचमुच दुधारी तलवार है। गत दिनों राज्य सभा की कार्यवाही के लाइव प्रसारण के दौरान ही राजीव शुक्ला का यह वाक्य— 'सदन स्थगित कर दीजिए' भी खूब चर्चित हुआ था। उन्होंने यह बात चुपके से उप सभापति पी.जे. कुरियन को कही थी, लेकिन रिकॉर्ड हो गई और भेद खुल गया

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