चीन की ताजा घुसपैठ की घटना (पत्रिका 7 सितंबर) पर अनेक पाठकों की तीखी प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं। पाठकों ने चीन की भत्र्सना करते हुए भारत को उससे सावधान रहने की सलाह दी है। पाठकों के अनुसार चीनी घुसपैठ की घटनाओं को भारत सरकार हल्के में न लें तथा पूरी ताकत से जवाब दे।
प्रो। एस।सी। भटनागर (जयपुर) ने लिखा- 'चीन भारत की सीमा में दो कि.मी. भीतर घुस आया, लेकिन विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने कहा- घुसपैठ से चिन्तित होने की जरूरत नहीं। सरकारी रिपोर्ट खुलासा कर रही है (14 सितंबर अंक) कि चीन इंच-दर-इंच भारत की भूमि पर कब्जा कर रहा है, लेकिन राष्टï्रीय सुरक्षा सलाहकार एम.के. नारायणन इसे खतरा मानने की बजाय चीनी घुसपैठ को मीडिया में तूल देने को बड़ा खतरा बता रहे हैं। (20 सितंबर) चीन ने इस वर्ष अब तक पांचवीं बार सीमा का उल्लंघन किया है लेकिन विदेश सचिव निरुपमा राव चीनी घुसपैठ की घटनाओं में वृद्धि से इनकार कर रही हैं। आखिर ये क्या हो रहा है? क्या देश के नागरिक इतने नादान हैं कि वे पड़ोसी देश की गुस्ताखियों से अनभिज्ञ हैं! भारत से ज्यादा चीन को भला और कौन जानता है। हमारे शासक लीपापोती करने की बजाय चीन को कड़ा संदेश दे।'
राजस्थान विश्वविद्यालय के शोधार्थी राजेश श्रीवास्तव के अनुसार- 'भारत को अगर दुनिया में किसी से खतरा है तो वह चीन है। क्योंकि चीन अमरीका की जगह लेना चाहता है। इसमें वह भारत को अपना मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानता है। भारत की विशाल जनसंख्या और भूभाग चीन के लिए चुनौती है। इसलिए वह ऐसी करतूतें करता रहता है जिससे भारत पर दबाव बना रहे।'
डॉ। धमेन्द्र चौधरी (अजमेर) के अनुसार- 'चीन का एजेण्डा सन्' 2050 तक अमरीका को पछाड़कर 'सुपर पावर' बनना है। इस रणनीति के तहत वह धीरे-धीरे कूटनीतिक तरीके से आगे बढ़ रहा है। हाल ही भारत के तवांग क्षेत्र में घुसपैठ चीन की इसी रणनीति का हिस्सा है।'
अहमदाबाद से दिव्या पुरोहित ने लिखा- 'चीन ने भारत की 43 हजार वर्ग किमी। जमीन पर कब्जा कर रखा है। सीमा के पास भारत की प्रहारक दूरी पर लगभग ढाई लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं। हमारे अरुणाचल प्रदेश को वह भारत का हिस्सा मानने से इन्कार करता रहा है।'
अध्यापक प्रकाश श्रीमाली, उदयपुर ने लिखा- 'पं। जवाहरलाल नेहरू ने 1954 में चीन से समझौत करके तिब्बत पर उसका आधिपत्य स्वीकार करने की भारी भूल की थी। नेहरू जी के हिन्दी-चीनी भाई-भाई का जवाब चीन ने 1962 में भारत पर हमले के रूप में दिया। ऐसे दगाबाज दोस्त से हमेशा सावधान रहने की जरूरत है।'
बीकानेर से गिरधारी शर्मा ने लिखा- 'चीन ने किसी देश से दोस्ती नहीं निभाई। जिस तरह चीन ने पं। नेहरू को धोखा दिया, उसी तरह उसने इंडोनेशिया के राष्टï्रपति सुकार्णो को भी दगा दिया। मलाया, फिलीपीन्स, वियतनाम, जापान कोई भी देश चीन की करतूतों से नहीं बचा।''चीन अतीत में भी भारत से दुश्मनी रखता था और आज भी दुश्मनी रखता है।' यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नंदकिशोर कश्यप (कोटा) ने लिखा- 'अन्तरराष्टï्रीय मुद्रा कोष से भारत ने अरुणाचल के विकास के लिए दो अरब डॉलर का ऋण मांगा तो चीन ने बैठक में आपत्ति जताकर अड़ंगा लगा दिया। एन.एस.जी. (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) देशों की बैठकों में भी चीन भारत को परमाणु आपूर्ति का विरोध करता रहा है। संयुक्त राष्टï्र में सुरक्षा परिषद सदस्य के रूप में भारत की दावेदारी पर चीन को सदैव खुलकर आपत्ति रही है। चीन हमारे साथ कहीं भी दोस्ती नहीं निभा रहा। फिर भारत किस बात का संकोच करे।'
गोपाल अरोड़ा (जोधपुर) ने लिखा- 'भारतीय विदेश नीति के निर्माताओं को आंखें खोल देनी चाहिए इस तथ्य को समझने के लिए कि अन्तरराष्टï्रीय संबंधों का संचालन आदर्शवादी राजनीति से नहीं, बल्कि यथार्थपरक शक्ति राजनीति से होता है।'
उदयपुर से जीवन चन्द्र 'भारती' ने लिखा- 'ओलम्पिक मशाल के समक्ष तनिक विरोध प्रदर्शन भी चीन को बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने भारतीय राजदूत के मार्फत भारत सरकार को कड़ी फटकार लगाई जिससे हड़कम्प मच गया था। लेकिन हम सीमा उल्लंघन जैसे गंभीर मसले की भी अनदेखी कर रहे हैं- यह बहुत दुख की बात है।'
बंगलुरु से दीप बोथरा ने लिखा- 'कूटनीतिक तौर पर हमें चीन को यह संदेश देना चाहिए कि सीमा उल्लंघन की मामूली घटना को भी भारत बर्दाश्त नहीं करेगा। हमारी सेना सक्षम है। जरूरत राजनेताओं को सही समय पर सही बयान देने की है। संपादकीय (9 सितंबर) में ठीक लिखा कि राजनेता अपनी कमर सीधी रखें। भारतीय सेना ने आमने-सामने कई लड़ाइयां जीती हैं।'
प्रिय पाठकगण! यह युग परस्पर तनाव और युद्ध का नहीं है। खासकर तब, जब कई देश परमाणु शक्ति से सम्पन्न हैं। इस युग में शांति और भाइचारे की बातें होनी चाहिए। लेकिन यह विचार एकतरफा कभी फलीभूत नहीं हो सकता है। इसके लिए दोनों तरफ से प्रयास होने चाहिए।
स्वाभिमान से जीने का हक सभी को है। इसे किसी को भी नहीं भूलना चाहिए।
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9 comments:
जोशी जी राम-राम,ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं, लेखन कार्य के लिए बधाई
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चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.मेरी शुभकामनाएं.
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हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है. निरंतर लेखन से हिंदी चिट्ठाजगत को समृद्ध करे.
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।
बहुत सुन्दर
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
नारायण,नारायण
अनुभवी लेखक / संपादक का साइबर जर्नलिज्म में भी गर्मागर्म स्वागत होना ही चाहिए...मेरी तरफ से भी आपका अभिनंदन जोशी जी. ब्लाग का टैंपलेट भी मनभावन है. कभी मौका मिले, तो चौराहा देखें. (चौराहा यानी मेरा ब्लॉग...www.chauraha1.blogspot.com). लगातार लिखते रहेंगे और हम सबको आनंदित-अपडेट करेंगे, यही कामना, यही शुभकामना भी.
ब्लॉग जगत में आपका तहेदिल से स्वागत
हुज़ूर आपका भी एहतिराम करता चलूं......
इधर से गुज़रा था, सोचा सलाम करता चलूं..
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