Thursday, February 27, 2014

सड़कों पर बारात

  टिप्पणी
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रशासन को हिदायत दी है कि जयपुर में सड़कों पर बारात निकलने के दौरान लोगों की आवाजाही पर असर नहीं पडऩा चाहिए। न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान नगर निगम से कहा कि भीड़ भरी सड़कों पर क्यों नहीं लगाते बारात पर पाबंदी। न्यायालय ने जैसे ज्यादातर नागरिकों के मन की बात कह दी। भीड़ भरी सड़कों के कारण आखिर कौन है जो परेशान नहीं होता। बड़े शहरों में ही नहीं कस्बों में भी अब तो बारात के कारण घंटों-घंटों जाम में लोग फंस जाते हैं। बढ़ते वाहनों का अम्बार, साइकिल व ऑटो रिक्शा की रेलमपेल, अतिक्रमण के चलते सिकुड़ती सड़कें, बेतरतीब चौराहे और ऊपर से बारातियों का बीच सड़क पर घेरा डालकर कई-कई देर तक डांस करना राहगीरों की मुसीबत बन जाता है।
वाहनों की कतारों के बीच खतरनाक आतिशबाजी देखकर तो कई बार दिल दहल उठता है। कहीं कोई हादसा हो गया तो बच कर निकलने की कोई जगह नहीं। इन हालात से बेपरवाह बारातियों को निश्चिन्त होकर मनोरंजन में मशगूल देखकर बड़ी पीड़ा होती है। आखिर कहां गया हमारा नागरिक दायित्व-बोध? बारात के कारण जाम में फंसे लोगों में कोई गंभीर मरीज भी हो सकता है, जिसे तत्काल चिकित्सा की जरूरत है। गत दिनों ऐसे ही एक जाम में एम्बुलेंस के फंसने से मरीज की मौत हो चुकी है। हालांकि कुछ जगह बारातियों को भी व्यवस्था बनाते देखा जाता है, लेकिन ज्यादातर ऐसा देखने में नहीं आता और राह से गुजरने वाले परेशान होते रहते हैं। ऐसे लापरवाह लोगों के लिए तो यातायात पुलिस और स्थानीय प्रशासन की खास तौर पर जरूरत महसूस होती है।
किसी बड़े आदमी के यहां विवाह-समारोह हो तो पुलिस वालों की लाइन लग जाती है व्यवस्थाएं बनाने में। लेकिन आम विवाह-समारोह में बीच सड़क पर यातायात में खलल डालते समय पुलिस का कोई परिन्दा भी नजर नहीं आता। दूरस्थ कॉलोनियों का तो भगवान ही मालिक है। एक ही मुख्य सड़क पर कई 'मैरिज गार्डन्स' और आमने-सामने गुजरती बारातों की ऐसी चिल्ल-पों मचती है कि बेचारे राहगीरों का 'बाजा' बज जाता है। माना शहर की ट्रैफिक व्यवस्था केवल बारातों की वजह से नहीं बिगड़ती। यातायात पुलिस और स्थानीय निगमों की कुव्यवस्थाएं इसके लिए ज्यादा जिम्मेदार हैं।
'पीक ऑवर्स' में तो रोजाना जाम के हालात बनते हैं। ऐसे में 'बारातियों' को कोसना ठीक नहीं। विवाह एक उत्कृष्ट सामाजिक संस्कार है जिसे समारोहपूर्वक मनाने का सबको हक है। इसके बावजूद हमारा दायित्व है कि हम सड़क पर बारात के दौरान कुछ चीजों का ध्यान रखकर राहगीरों की राह आसान बना सकते हैं और विवाह-समारोह का भी भरपूर आनन्द ले सकते हैं।

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