RSS

हिन्दी मीडिया के लिए खास दिन

 हिन्दी केवल सम्प्रेषण या अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं है। यह एक विशाल समाज की संस्कृति को जानने-समझने का महत्त्वपूर्ण जरिया भी है।
बीते माह पत्रकारिता से जुड़े दो महत्त्वपूर्ण दिवस गुजरे। माह की शुरुआत (3 मई) प्रेस स्वतंत्रता दिवस से हुई जिसकी चर्चा इस स्तंभ में की गई थी। माह का अन्त (30 मई) हिन्दी पत्रकारिता दिवस से हुआ। हालांकि दोनों अवसरों पर पत्रकारिता-जगत में कुछ खास हलचल देखने को नहीं मिली लेकिन मीडिया चाहे तो इन अवसरों का पूरा लाभ उठा सकता है। 3 मई जहां मीडिया की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी को परखने का एक वैश्विक अवसर है तो 30 मई का संबंध भी भारत में  विशाल पाठक समूह से है। इस बहाने हम हिन्दी पत्रकारिता से जुड़े विविध मसलों पर विमर्श कर सकते हैं। देखा जाए तो अपने पाठक-श्रोता-दर्शक के विराट समूह के प्रति विश्वास और प्रतिबद्धता के मूल्यांकन का यह सुनहरा अवसर हो सकता है।
यह सही है कि 30मई का सीधा संबंध हिन्दी के अखबारों से है लेकिन जिस घटना से यह प्रेरित है वह पूरे हिन्दी मीडिया जगत के लिए महत्त्वपूर्ण है। चाहे प्रिन्ट हो या इलेक्ट्रॉनिक या फिर सोशल मीडिया ही क्यों न हो! जो भी हिन्दी पत्रकारिता के दायरे में आता है, उन सबके लिए इसका महत्त्व है। 30  मई 1826  यानी 188 वर्ष पूर्व हिन्दी का पहला अखबार कोलकाता से निकला था- 'उदंत मार्तंड'। पं. जुगल किशोर शुक्ला के संपादकत्व में यह अखबार एक साल बाद बंद हो गया था लेकिन हिन्दी में पत्रकारिता की लौ प्रदीप्त कर गया। उस वक्त रेडियो, टीवी नहीं थे। लिहाजा इसे क्यों नहीं सम्पूर्ण हिन्दी पत्रकारिता का प्रस्थान बिन्दु कहा जाए? 'उदन्त मार्तंड' की प्रकाशन तिथि 30 मई हिन्दी पत्रकारिता दिवस बन गई। दुर्भाग्य से यह दिवस कुछ औपचारिक सभा-संगोष्ठियों से अधिक महत्त्व नहीं पा सका है। हिन्दी में पत्रकारिता सिखाने वाले संस्थान और विश्वविद्यालयों के विभाग भी कुछ खास नहीं कर पाए हैं। बेहतर होगा कि हिन्दी में पत्रकारिता करने वाले मीडिया के सभी रूप- जिनमें अखबार, टीवी चैनल, सामुदायिक रेडियो, सोशल मीडिया आदि शामिल हैं- मिलकर इस दिशा में प्रयास करें। अखबार और समाचार-चैनल सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देश में सबसे बड़ा पाठक-श्रोता-दर्शक समूह हिन्दी में है। हिन्दी केवल सम्प्रेषण या अभिव्यक्ति का माध्यम भर नहीं है। यह एक विशाल समाज की संस्कृति को जानने-समझने का महत्त्वपूर्ण जरिया भी है। इसलिए हिन्दी मीडिया यह देखे कि इस समाज की जरूरतें और आकांक्षाएं क्या हैं। उसकी मीडिया से क्या अपेक्षाएं हैं। उन अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए उसे जो कुछ करना चाहिए, क्या वह कर रहा है? खबरों की विश्वसनीयता का स्तर क्या है तथा जो सामग्री वह अपने पाठकों-श्रोताओं को दे रहा है, उसके प्रति उनका क्या नजरिया है। भाषाई मीडिया के बारे में भी उसे अपनी जानकारी पुख्ता करनी होगी। उसकी अच्छाइयों को आत्मसात करने की जरूरत है तो कमियों से सबक लेने की।
 हिन्दी मीडिया को अंग्रेजी मीडिया की पेशेगत कुशलता और गुणवत्ता से तुलनात्मक आकलन करना होगा। साथ ही उसकी बुराइयों से दूर रहना होगा। अनुकरण और अनुवाद की निर्भरता से छुटकारा पाने की जरूरत है। भाषा को लेकर हिन्दी मीडिया को स्व-मूल्यांकन करना निहायत जरूरी है। नई पीढ़ी के नाम पर जो भाषा वह परोस रहा है, उसके दीर्घकालीन परिणामों पर भी उसकी निगाह होनी चाहिए। मेधावी युवा हिन्दी मीडिया में अपना भविष्य क्यों नहीं देखता, इस पर विचार हो। हिन्दी पत्रकार को प्रशिक्षण के बेहतरीन अवसर सुलभ हों। संवाद-सम्प्रेषण के लिए उसके पास आधुनिक संसाधन हों। दरअसल, हिन्दी मीडिया के लिए करने को इतने काम हैं कि उनकी एक लम्बी सूची गिनाई जा सकती है। सवाल यह है कि सुधार और मूल्यांकन का काम साल में केवल एक विशेष दिवस पर ही क्यों हो- हर दिन क्यों न हो? ठीक बात है। स्व-मूल्यांकन निरन्तर चलने वाली एक सतत प्रक्रिया है इसके बावजूद दिवस-विशेष से इसे जोड़ कर देखना जरूरी है। ये दिवस हमें न केवल प्रेरित करते हैं बल्कि निरन्तर बेहतर करने के लिए सजग भी रखते हैं। हिन्दी पत्रकारिता दिवस एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। हिन्दी मीडिया-जगत के लिए तो खास तौर पर। क्यों न हम इसे वर्ष का एक यादगार दिवस बना दें।
ब्रेकिंग न्यूज!
समाचार चैनल कभी-कभी बड़ी गलतियां कर जाते हैं। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री मनोनीत होने पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्प अर्पित करने राजघाट गए। सभी समाचार चैनलों ने कवरेज की । हिन्दी के एक समाचार चैनल ने भी रिपोर्ट दिखाई। नरेन्द्र मोदी पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे। पूरे परदे पर दृश्य था। तभी बड़े-बड़े शब्दों में लिखा हुआ फोटो-शीर्षक प्रकट हुआ- मोदी की समाधि पर नरेन्द्र मोदी। यह बाकायदा 'ब्रेकिंग न्यूज' थी जो कई देर तक चली। बाद में संभवत: ठीक कर ली गई।

  • Digg
  • Del.icio.us
  • StumbleUpon
  • Reddit
  • RSS

2 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि ब्लॉग बुलेटिन - श्रद्धांजलि गोपीनाथ मुंडे में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को ब्लॉग बुलेटिन की आज कि ब्लॉग बुलेटिन - श्रद्धांजलि गोपीनाथ मुंडे में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।