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2040 में गांधी परिवार

कल्पनालोक
आज मक्खनलाल बहुत चिन्तामग्न है। क्या होगा, क्या नहीं होगा। राजन गांधी पार्टी की कमान संभालने के लिए राजी होंगे कि नहीं। अरे, हम पार्टी वर्करों की भावनाओं का ख्याल भी है कि नहीं राजन बाबा को? पूरे दस साल हो गए हैं गुहार लगाते-लगाते। हम ही क्या, देश की सारी युवा-शक्ति उनकी  मुरीद है। उनकी तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। लेकिन राजन बाबा है कि टस से मस नहीं हो रहे। बड़े शर्मीले हैं। अपने डैडी पर गए हैं। उनकी ट्रू कॉपी है। देखा नहीं, 27 बरस पहले आदरणीय राहुल गांधी जी को किस तरह मनाया था कांग्रेसजनों ने मिलकर?
मेरे पापाजी बताते हैं कि जयपुर चिन्तन शिविर में हम सब बिड़ला ऑडिटोरियम के मुख्य द्वार पर धरना देकर बैठ गए थे। राहुल जी तैयार ही नहीं हो रहे थे पार्टी की कमान संभालने को। इतने शर्मीले कि पूज्य सोनिया जी के कहने पर भी मान नहीं रहे थे। सोनिया जी ने कहा, बेटे राहुल, अब मान भी जाओ। जरा देखो इन देशभक्तों की तरफ। कितने घंटों से ये इस भरी सर्दी में बैठे हैं। ऊपर से मौसम खराब। बारिश होने वाली है। किसी को निमोनिया हो गया तो? फिर मेरा भी तो ख्याल करो। उम्रदराज हो गई हूं मैं। तबीयत भी ठीक नहीं रहती। मान जाओ बेटा। 14  साल से भार संभाले हूं। एक-एक करके कई प्रदेश हाथ से निकल गए। अगर दिल्ली भी निकल गई तो? पिताजी बताते हैं कि तब आदरणीय राहुल जी पिघल गए थे।
हम सब कांग्रेसजन ने खूब खुशियां मनाईं। जोरदार आतिशबाजी की। नारे लगे। जयकारे हुए। देश का नेता कैसा हो, राहुल गांधी जैसा हो। नारे इतने गूंजे कि बिड़ला ऑडिटोरियम की गूंज नाहरगढ़ तक सुनाई दी। लेकिन लाल किले तक नहीं पहुंची।
राहुल जी तब प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे। कार्यकर्ताओं के लंबे इंतजार के बाद, वे पिता बनने की तैयारी कर रहे थे। फिर राजन बाबा की 10, जनपथ पर किलकारियां गूंजी। बुआ आदरणीय प्रियंका गांधी वाड्रा ने शिशु की बलैया ली। बोली, मॉम पर गया है। लंबी पारी खेलेगा। फूफाजी रॉबर्ट वाड्रा सोने का पालना 'गिफ्ट' लेकर आए। बोले, दादी मॉम पर गया है। सबकी बोलती बंद कर देगा। बहन मिराया और भैया रेहन बोले-बिल्कुल नाना पर गया है। हवाई जहाज उड़ाएगा। उन्हीं दिनों मुझे पिताजी ने सीख दी, बेटा मक्खन, तुम्हीं मांग कर डालो। वरना कोई और बाजी मार ले जाएगा। राजन बाबा कान्वेन्ट में भर्ती करा दिए गए थे।
मैंने अधिवेशन में मांग कर डाली, पार्टी की कमान हमारे युवराज (राजन बाबा) के कंधों पर डाली जाए। राजन गांधी है तो पार्टी है। पार्टी है तो देश है। देश है तो मक्खन है। एक नहीं सैकड़ों मक्खन लालों की आवाज गूंज उठी। सब बेचैन हो उठे। यह कैसे आगे निकल गया। हम कौन से मक्खन लाल से कम हैं। फिर तो चारों ओर से आवाजें आने लगीं। देश का नेता कैसा हो- राजन गांधी जैसा हो। देश की युवा आंधी! राजन गांधी! राजन गांधी!!
भीड़ में कोई चिल्लाया, 'अरे सपूतों, राजन बाबा के अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे। जरा सब्र करो। मक्खन लालों की और तेज आवाज गूंजी—और नहीं बस और नहीं, गम के बादल और नहीं। तभी मक्खन लाल ने माइक थाम लिया— साथियों, हमें फिर चुनौती दी जा रही है, जिसे चाहे वह प्रदर्शन कर रहा है। कोई जन्तर-मन्तर पर, कोई इंडिया गेट पर। कोई टोपी लगाकर। कोई झंडा उठाकर। साथियों, हम पार्टी का संविधान बदलेंगे। अगर राजन बाबा जवान हो गए तो फिर आदरणीय राहुल जी की तरह शरमाने लगेंगे। ना-ना करेंगे। अब यह देश और इन्तजार नहीं कर सकता। वर्ना हम एक बार फिर धरना देकर बैठ जाएंगे। फिर चाहे हमें बुखार हो या निमोनिया। भीड़ में नारे गूंज उठे—
देश का नेता कैसा हो—
राजन बाबा जैसा हो..
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