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सुरक्षा से खिलवाड़

   बेंगलूरु से अरुणा और आनंद विज ने लिखा-'भारत के संवेदनशील रक्षा प्रतिष्ठानों में शुमार मुंबई स्थित कोलाबा डिफेंस स्टेशन एरिया में आदर्श हाउसिंग सोसायटी की 100 मीटर ऊंची इमारत भ्रष्टाचार की सबसे कलंकित नजीर बन चुकी है। सबसे कलंकित इसलिए कि इसमें भ्रष्टाचारियों ने न देश की सुरक्षा का ख्याल रखा और न ही देश की रक्षा के लिए मर मिटे शहीदों (करगिल) की विधवाओं का, जिनके नाम पर इस इमारत की नींव रखी गई थी। 26/11 का हमला याद करके कांप जाते हैं। उस दिन हम मुंबई में ही थे। पाकिस्तानी आतंककारियों ने जो कुछ किया वह देश के सीने में खंजर घोंपने जैसा था। उस घटना से हमें सबक सीखना चाहिए था। लेकिन आदर्श हाउसिंग सोसायटी यह साबित करती है कि हम देश की सुरक्षा को लेकर कितने गैर जिम्मेदार हैं। चंद रुपयों के लालच में सब-कुछ बेच देते हैं। सेना की इंजीनियरिंग ट्रांसपोर्ट फेसिलिटी, जहां हथियारबंद वाहन पार्क किए जाते हैं, से सिर्फ 27 मीटर दूर है यह 31 मंजिला इमारत। सेना और नौसेना के डिपो- जिनसे सैनिकों को हथियारों, विस्फोटकों और संवेदनशील उपकरणों की आपूर्ति की जाती है- सिर्फ 100 मीटर दूर है, इस इमारत से। कोई भी इसकी ऊंची छत पर खड़ा होकर हमारे इन रक्षा प्रतिष्ठानों को आसानी से निशाना बना सकता है। इसलिए इस पूरे इलाके में तटीय नियमन क्षेत्र अधिसूचना लागू है जिसके तहत यहां बहुमंजिला इमारतों के निर्माण पर रोक है। लेकिन भ्रष्टाचारियों के लिए क्या तो कानून और क्या राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला!'
प्रिय पाठकगण! पिछले दिनों मीडिया में लगातार कई बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामले सुर्खियों में रहे। इनमें खास तौर पर कॉमनवेल्थ खेल, 2 जी स्पैक्ट्रम और आदर्श हाउसिंग सोसायटी से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित/प्रसारित हुईं। प्राय: हर रोज नए तथ्य उजागर हो रहे हैं। भ्रष्टाचार की खबरों पर पाठक त्वरित प्रतिक्रिया करते हैं। आप कॉमनवेल्थ पर पाठकों के विचार (नाक की चिंता) पढ़ चुके हैं। इस बार आदर्श सोसायटी पर पाठकों की राय जानते हैं।
जयपुर से डॉ. रमेश नारायण के अनुसार- 'आदर्श हाउसिंग सोसायटी का घोटाला सन् 20003 में ही सामने आ चुका था जब एक स्वयंसेवी संस्था की सूचनाओं के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस के एक पत्रकार ने यह मामला उजागर किया। लेकिन मुंबई के बिल्डरों और नेताओं का गठजोड़ इतना ताकतवर है कि मामले को दबा दिया गया। यहां तक कि लोकसभा को भी गुमराह किया गया। यह तो भला हो नौसेना के वायस एडमिरल संजीव भसीन का, जिन्होंने इस बिल्डिंग को लेकर पिछले दिनों नौसेना प्रमुख को लिखा। भसीन ने सुरक्षा कारणों से बिल्डिंग की मौजूदगी पर आपत्ति जताई। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसके बाद यह मुद्दा जोरों से उठा और अशोक राव चव्हाण को कुर्सी छोड़नी पड़ी।'
इंदौर से पंकज डोभाल ने लिखा- 'मुंबई में बिल्डरों की लॉबी सभी राजनीतिक दलों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी है। इसलिए कोई इसको खत्म करना नहीं चाहता। शिवसेना के मुख्यमंत्री मनोहर जोशी को जमीन घोटाले के कारण सत्ता छोड़नी पड़ी थी। लेकिन उसके बाद क्या हुआ? कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों के नाम आदर्श सोसायटी घोटाले में आ रहे हैं। भाजपा के एक नेता ने तो अपने ड्राइवर को भी फ्लैट दिलवा दिया। राकांपा के अजीत पवार का नाम भी आया है। कौन बचा है इस हमाम में? ऐसी स्थिति में अशोक चव्हाण के जाने और पृथ्वीराज चव्हाण के आने से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा। आलाकमान केवल नेताओं की अदला-बदली करता है, किसी को सजा क्यों नहीं देता?'
उदयपुर से विनोद कृष्ण सेंगर ने लिखा- 'आदर्श हाउसिंग सोसायटी की नींव ही असत्य और फर्जीवाड़े पर टिकी है। बिल्डिंग के प्रमोटर ने करगिल शहीदों की विधवाओं, करगिल हीरोज तथा भारतीय सेनाओं में उल्लेखनीय योगदान करने वालों के नाम पर सोसायटी की रूपरेखा तैयार की थी। लेकिन बाद में फ्लैटों की ऐसी बंदरबाट हुई कि राजनेता, बड़े अफसर, उनके नाते-रिश्तेदारों को फ्लैटों की रेवडि़यां बांट दी गईं। बिल्डिंग के कुल 103 फ्लैट्स में से 37 ही सेना से संबंधित लोगों को दिए गए। इनमें सिर्फ 3 करगिल युद्ध सम्बन्धी हैं। और अब खबर आई है कि इनमें भी दो फर्जी नाम हैं।'
भोपाल से भूपेन्द्र ठुकराल ने लिखा- 'अफसरों, नेताओं और बड़े सैन्य अधिकारियों में फ्लैट लेने की होड़ क्यों मची, यह साफ जाहिर है। जिस फ्लैट की बाजार में 8 करोड़ रुपए कीमत थी, वह उन्हें 85 लाख रुपए में दिया गया।'
उज्जैन से राज शर्मा ने लिखा- 'सोसायटी के ये फ्लैट्स मुंबई के सर्वाधिक पॉश इलाके में है। यहां जमीन के भाव सबसे महंगे हैं। लेकिन सवाल तो सुरक्षा का है। यह रक्षा मंत्रालय की जमीन थी जो सेना के कब्जे में थी। कोई परिन्दा भी जहां नहीं फटक सकता, वहां भू-माफियाओं ने जमीन हड़प ली।'
कोटा से जयसिंह चौधरी ने लिखा- 'सोसायटी का घोटाला कॉमनवेल्थ और टेलीकॉम घोटाले से ज्यादा गंभीर है, क्योंकि इसमें देश की सुरक्षा सम्बन्धी पहलू जुड़े हैं इसलिए इसमें लिप्त सभी भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर होने चाहिए और सबको सजा मिलनी चाहिए।'
सूरत से दीपक एस. खत्री ने लिखा- 'पर्यावरण मंत्रालय ने इस बिल्डिंग को गिराने की चेतावनी दी है। अव्वल तो ऐसा करना मुश्किल होगा। मगर सुरक्षा कारणों से बिल्डिंग गिराई जाती है तो इसका पूरा खमियाजा भ्रष्टाचार में लिप्त एक-एक व्यक्ति से वसूल करना चाहिए। चाहे वह नेता हो, या अफसर।'

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